"विजया राजे सिंधिया": अवतरणों में अंतर
राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की नेता रह चुकी हैं. विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी. वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. लेकिन कांग्रेस में 10 साल बिताने के बाद पार्टी से उनका मोहभंग हो गया. विजयाराजे सिंधिया ने 1967 में जनसंघ जॉइन कर लिया. विजयाराजे सिंधिया की बदौलत ही ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ काफी मजबूत हुआ. वर्ष 1971 में पूरे देश में जबरदस्त इंदिरा लहर होने के बावजूद जनसंघ ने ग्वालियर क्षेत्र की तीन सीटों पर जीत हासिल की. विजयाराजे सिंधिया भिंड... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की नेता रह चुकी हैं. विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी. वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. लेकिन कांग्रेस में 10 साल बिताने के बाद पार्टी से उनका मोहभंग हो गया. विजयाराजे सिंधिया ने 1967 में जनसंघ जॉइन कर लिया. विजयाराजे सिंधिया की बदौलत ही ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ काफी मजबूत हुआ. वर्ष 1971 में पूरे देश में जबरदस्त इंदिरा लहर होने के बावजूद जनसंघ ने ग्वालियर क्षेत्र की तीन सीटों पर जीत हासिल की. विजयाराजे सिंधिया भिंड से, उनके पुत्र माधवराव सिंधिया गुना से और अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से सांसद बने. |
राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की नेता रह चुकी हैं. विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी. वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. लेकिन कांग्रेस में 10 साल बिताने के बाद पार्टी से उनका मोहभंग हो गया. विजयाराजे सिंधिया ने 1967 में जनसंघ जॉइन कर लिया. विजयाराजे सिंधिया की बदौलत ही ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ काफी मजबूत हुआ. वर्ष 1971 में पूरे देश में जबरदस्त इंदिरा लहर होने के बावजूद जनसंघ ने ग्वालियर क्षेत्र की तीन सीटों पर जीत हासिल की. विजयाराजे सिंधिया भिंड से, उनके पुत्र माधवराव सिंधिया गुना से और अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से सांसद बने. |
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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की जयंती पर उनकी पावन स्मृति में ₹100 के स्मारक सिक्के का अनावरण कर राजमाता विजयाराजे सिंधिया को उनके महान व्यक्तित्व के लिए नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।https://hindidhaam.com |
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==मीडिया में== |
==मीडिया में== |
18:43, 12 अक्टूबर 2020 का अवतरण
विजया राजे सिंधिया (पूरा नाम लेखा देवीेश्वरी देवी), जोकि ग्वालियर की राजमाता के रूप में लोकप्रिय थी, एक प्रमुख भारतीय राजशाही व्यक्तित्व के साथ-साथ एक राजनीतिक व्यक्तित्व भी थी। ब्रिटिश राज के दिनों में, ग्वालियर के आखिरी सत्ताधारी महाराजा जिवाजीराव सिंधिया की पत्नी के रूप में, वह राज्य के सर्वोच्च शाही हस्तियों में शामिल थी। बाद में, भारत से राजशाही समाप्त होने पर वे राजनीति में उतर गई और कई बार भारतीय संसद के दोनों सदनों में चुनी गई। वह कई दशकों तक जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय सदस्य भी रही।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की नेता रह चुकी हैं. विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी. वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. लेकिन कांग्रेस में 10 साल बिताने के बाद पार्टी से उनका मोहभंग हो गया. विजयाराजे सिंधिया ने 1967 में जनसंघ जॉइन कर लिया. विजयाराजे सिंधिया की बदौलत ही ग्वालियर क्षेत्र में जनसंघ काफी मजबूत हुआ. वर्ष 1971 में पूरे देश में जबरदस्त इंदिरा लहर होने के बावजूद जनसंघ ने ग्वालियर क्षेत्र की तीन सीटों पर जीत हासिल की. विजयाराजे सिंधिया भिंड से, उनके पुत्र माधवराव सिंधिया गुना से और अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से सांसद बने.
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की जयंती पर उनकी पावन स्मृति में ₹100 के स्मारक सिक्के का अनावरण कर राजमाता विजयाराजे सिंधिया को उनके महान व्यक्तित्व के लिए नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।https://hindidhaam.com