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देश की अर्थव्यवस्था में MSME का सबसे बड़ा योगदान, इस सेक्टर ने 11 करोड़ लोगों को दिया रोजगार

Contributed By शचींद्र नाथ | Authored by ईटी हिंदी डेस्क | ET Online | Updated: 20 Jun 2024, 6:33 pm

सरकार की अनुकूल नीतियों और तकनीकी उन्नयन के बल पर देश का एमएसएमई सेक्टर मजबूत विकास की उम्मीद दर्शाता है. बेशक अभी कुछ जगह कमियां हो सकती है,लेकिन मौजूदा तंत्र एमएसएमई के ज्यादतर सेक्टर के लिए मददगार साबित हो रहा है. "एमएसएमई संपर्क रिपोर्ट'उसी दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है.

 
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देश की अर्थव्यवस्था में MSME का सबसे बड़ा योगदान, इस सेक्टर ने 11 करोड़ लोगों को दिया रोजगार
शचींद्र नाथ
नई दिल्ली:
भारत ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों का सामना मजबूती से किया. यह उसकी आर्थिक ताकत का प्रमाण है. भारत इसी के बल पर अपने आप को दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार किया गया. भले ही वैश्विक घटनाकृत के चलते दुनिया की विकास दर में कमी आई है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2024 में 8.2% की दर से बढ़ने में सफल रही. आने वाले वर्ष में भी देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर ऊंची बनी रहेगी.

देश के सुक्ष्म, छोटे और मझौले उद्योग (एमएसएमई) देश की अर्थव्यस्था को सबसे ज्यादा मजबूती प्रदान कर रहे हैं. यह उद्यम विविधता से भरे हुए हैं जो 11 करोड़ लोगों को रोजगार देकर देश की अर्थव्यवसस्था को ताकत देते हैं. भारत के एमएसएमई सेक्टर ने कोविड महामारी के बाद उत्पन्न स्थितियों में खासतौर पर मजबूती दिखाई. सेक्टर ने वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव, बुनियादी सुविधाओं का दायरा सिकुड़ने और धन की कमी का भी बखूबी सामना किया.

सरकार की अनुकूल नीतियों और तकनीकी उन्नयन के बल पर देश का एमएसएमई सेक्टर मजबूत विकास की उम्मीद दर्शाता है. बेशक अभी कुछ जगह कमियां हो सकती है,लेकिन मौजूदा तंत्र एमएसएमई के ज्यादतर सेक्टर के लिए मददगार साबित हो रहा है. "एमएसएमई संपर्क रिपोर्ट'उसी दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है. यह रिपोर्ट हमने "डन एंड ब्रैडस्ट्रीट' के साथ मिलकर तैयार की है. यह द्विवार्षिक रिपोर्ट फरवरी-2024 में प्रकाशित की गई थी. इसमें देश के एमएसएमई कर्ज की मौजूदा स्थिति के बारे में बताया गया है.

इस रिपोर्ट को 25 हजार एमएसएमई के पिछले तीन साल में कर्ज लेने और कर्ज की अदायगी की जानकारी का विश्लेषण करके तैयार किया गया है. रिपोर्ट में देश के अहम आर्थिक रुझान के बारे में बताया गया है जो कर्ज देने के लिए सबसे अहम है.

एमएसएमई की दुनिया

एमएसएमई देश के ग्रॉस वैल्यू एड (जीवीए) में 30%,देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 36% और देश के निर्यात में 44% का योगदान देती है. महामारी के दौरान एमएसएमई का जीवीए में योगदान घट गया था जिससे देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर भी नीचे आ गई थी. वित्तीय वर्ष 2021 और 2022 में जैसे ही महामारी का प्रकोप घटा वैसे ही देश के जीवीए में एमएसएमई की हिस्सेदारी फिर से बढ़ने लगी. यह इस बात का भी प्रमाण है कि यह क्षेत्र महामारी से किस तेजी से उबरे.

महामारी के बाद देश में कारोबार माहौल में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला. जुलाई 22 से जून 23 के बीच देश के बाजार और चुनिंदा सेक्टर में "क्रेडिट ग्रोथ'देखने को मिली. हालांकि बड़े उद्यमों की तुलना में छोटे उद्यम अभी भी प्रापर्टी आधारित सुरक्षित लोन पर ही निर्भर हैं. इसके चलते यहां कर्ज डूबने का अनुपात घटा है. यह बेहतर कारोबारी हालात के बारे में बताता है. 2022 से 2023 के बीच सुक्ष्म और छोटे उद्यमों को मिलने वाले कर्ज में बढ़ोतरी हुई,लेकिन मझौले उद्योगों को मिलने वाले कर्ज में कमी आई.

मध्यम और उच्च जोखिम वाली कंपनियों को सरकारी बैंकों से मिलने वाले कर्ज में 2021 की तुलना में तेजी से कमी आई है. अहम बात यह है बैंकों की तुलना में एनबीएफसी कर्ज देने में मामले में ज्यादा सतर्कता बरत रहीं हैं. यह सूक्ष्म और छोटे उद्योगों को दिए जाने वाले में हिस्सेदारी में देखा जा सकता है. यहां एमएसएमई को कर्ज की ग्रोथ बैंकों में ज्यादा है, जबकि एनबीएफसी में यह ग्रोथ रेट कम है. यह इस बात का प्रमाण है कि कोविड के दौरान सरकार से छोटे मझौले और सूक्ष्म उद्यमों को मिली रियायतों के वापस होने के बाद वित्तीय संस्थान कर्ज को लेकर ज्यादा सतर्क हो गए हैं.

एमएसएमई का भविष्य

देश के एमएसएमई सेक्टर में व्यापक संभावनाएं है. कर्ज की कमी को दूर करके इनका समुचित दोहन किया जा सकता है. कर्ज की कमी को दूर करने में एनबीएफसी की भूमिका अहम है. उन्हें छोटे उद्योगों को कर्ज देने में आगे आना होगा. इसके लिए जरूरी है कि वे उन्नत रणनीति और मजबूत ढांचा बनाएं. तकनीकी लाभ लें और सहयोग को बढ़ावा दें. इसकी मदद से वे एमएसएमई की विविध जरूरतों के हिसाब से कर्ज दे सकते हैं. साथ ही अच्छी रफ्तार से कारोबार बढ़ा सकते हैं. ग्राहक केंद्रीत दृष्टिकोण को प्राथमिकता देना और नियमों का अनुपालन भरोसा और विश्वनीयता हासिल करने की दिशा में सबसे अहम है. सक्रिय दृष्टिकोण और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता लाकर एनबीएफसी देश के मजबूत एमएसएमई सेक्टर में खासा योगदान कर सकते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "आत्मनिर्भर भारत'की परिकल्पना एक "उत्प्रेरक'का काम कर रही है. सरकार की नीतियां उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के साथ वित्तीय समावेशन के लिए खास सुविधाएं प्रदान कर रहीं है. भविष्य में हम ज्यादा आसान होगा. हम ज्यादा समावेशी कर्ज नीति देखने को मिल सकती है. इससे एमएसएमई की ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा. इससे देश के आर्थिक विकास की राह प्रशस्त होगी. इससे आगे बढ़ें तो हम देखेंगे आजादी के अमृत महोत्सव की भावना एमएसएमई कर्ज में के तौर तरीकों में बदलाव एक समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में मददगार साबित होगा. इस आधार पर कहा जा सकता है एमएसएमई के कर्ज लेकर भविष्य बेहद उत्साहवर्धक है.

महिला उद्यमशीलता को बढ़ रही है. इससे सशक्तिकरण और जीवन आसान होना और उनके सम्मान को बढ़ावा मिल रहा है. महिलाएं आगे आकर देश के स्थाई विकास में भागीदार बन सकें इसलिए सरकारी मदद की बेहद जरूरत है.

सरकार ने एमएसएमई की ग्रोथ के लिए लागू की थीं कई योजनाएं

पिछले सालों में केंद्र सरकार ने एमएसएमई की ग्रोथ में मदद करने के लिए वित्त से जुड़ी कई योजनाएं लागू की हैं. इन सरकारी योजनाओं में इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस),प्रधानमंत्री मुद्रा योजना,माइक्रो क्रेडिट स्कीम (पीएमस्वनीधि) इत्यादि. इन सब योजनाओं ने एमएसएमई सेक्टर को कोविड जनित मंदी से उबरने में अहम भूमिका निभाई है.

इसके साथ ही सरकार एमएसएमई सेक्टर की उत्पादकता बढ़ाने और उन्हें प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कई उपाय कर रही है. इनमें दक्षता और तकनीकी उन्नयन और बाजार की उपलब्धता के लिए कई उपाय किए गए. इन उपायों से एमएसएमई सेक्टर में कर्ज की उपलब्धता बढ़ेगी और इससे सशक्त कर्ज का सिस्टम तैयार करने में मदद मिलेगी.

(लेखक शचींद्र नाथ, यू ग्रो कैपिटल के संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं)

अस्वीकरण : इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं, वे इकनॉमिक टाइम्स हिंदी का प्रतिनिधित्व नहीं करते. निवेश से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले आप सर्टीफाइड एक्सपर्ट से अवश्य सलाह लें.

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