Please enable javascript. करोड़ों की नेटवर्थ वाले माय होम ग्रुप के मुखिया जुपल्‍ली रामेश्वर राव ने कभी 50 हजार रुपये से शुरू किया था कारोबार, गरीबी में बीता था बचपन - success story of jupally rameswar rao started business with 50 thousand rupees know details | The Economic Times Hindi

करोड़ों की नेटवर्थ वाले माय होम ग्रुप के मुखिया जुपल्‍ली रामेश्वर राव ने कभी 50 हजार रुपये से शुरू किया था कारोबार, गरीबी में बीता था बचपन

Edited by Ranjeeta Pathare | ET Online | Updated: 17 Jun 2024, 12:51 pm

माय होम ग्रुप के मुखिया जुपल्‍ली रामेश्वर राव (Success Story of Jupally Rameswar Rao). जिनका बचपन गरीबी में बीता, मेहनत के दम पर मुश्किल से 50 हजार रुपये जमा किये और उसी पैसे से आज करोड़ों रुपये का कारोबार खड़ा कर दिया.

 
करोड़ों की नेटवर्थ वाले माय होम ग्रुप के मुखिया जुपल्‍ली रामेश्वर राव ने कभी 50 हजार रुपये से शुरू किया था कारोबार, गरीबी में बीता था बचपन
करोड़ों की नेटवर्थ वाले माय होम ग्रुप के मुखिया जुपल्‍ली रामेश्वर राव ने कभी 50 हजार रुपये से शुरू किया था कारोबार, गरीबी में बीता था बचपन
सफलता (Success) रातों-रात नहीं मिलती. उसके लिए कई सालों का कठिन परिश्रम, लगन और स्थिति का डटकर सामना करने की हिम्मत की आवश्यकता होती है. कल को और बेहतर बनाने के प्रयास में कई लोग मुश्किल परिस्थितियों में भी परेशान नहीं होते.
ऐसे ही लोगों में शामिल हैं माय होम ग्रुप के मुखिया जुपल्‍ली रामेश्वर राव (Success Story of Jupally Rameswar Rao). जिनका बचपन गरीबी में बीता, मेहनत के दम पर मुश्किल से 50 हजार रुपये जमा किये और उसी पैसे से आज करोड़ों रुपये का कारोबार खड़ा कर दिया.

हैदराबाद बेस कंपनी माय होम (My Home) एनर्जी, रियल एस्टेट और सीमेंट के क्षेत्र में काम करती है. आज इस कंपनी का नाम बड़ी-बड़ी कंपनियों में शुमार है. लेकिन ये सफलता इतनी आसानी से नहीं मिली. इसके पीछे रामेश्वर राव की बरसों की मेहनत है.

किसान परिवार में गरीबी में बीता बचपन



16 सितम्बर 1955 को तेलंगाना के महबूब नगर में रामेश्वर राव (Jupally Rameswar Rao) का जन्म हुआ. उनके पिता गरीब किसान थे. जिनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वे अपने बच्चे को स्कूल जाने के लिए साइकिल दिलवा सके. घर से लंबी दूरी तय करके रामेश्वर पैदल ही स्कूल जाते थे. स्कूल की पढ़ाई के बाद वे साल 1974 में हैदराबाद आ गए. जहां उन्होंने होम्योपैथी की पढ़ाई करके हैदराबाद में भी क्लिनिक शुरू किया.


रियल एस्टेट में एंट्री


साल 1980 के आसपास जब रियल एस्टेट मार्केट में उछाल आ रहा था. उस समय हैदराबाद में ही रामेश्वर ने पचास हजार रुपये में एक प्लॉट खरीदा. हालांकि उस समय उन्हें इस क्षेत्र का कोई ज्ञान नहीं था. लेकिन फिर भी उस प्लॉट पर उन्होंने फ़्लैट बनाकर बेचे.जिसमें उन्हें तीन गुना से ज्यादा का मुनाफा हुआ. इसके बाद उन्होंने अपना क्लिनिक बंद किया और इसी क्षेत्र में फुल टाइम काम करने लगे.

साबित हुआ टर्निंग प्वाइंट



क्लिनिक बंद करके रियल एस्टेट के क्षेत्र में फुल टाइम काम करना ही रामेश्वर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. ऐसे ही उनके रियल एस्टेट टाइकून बनने की शुरुआत हुई. इसके बाद उन्होंने कई कमर्शियल बिल्डिंग्स और रेजिडेंशियल सोसाइटी का निर्माण करके खूब मुनाफा कमाया.

सीमेंट क्षेत्र में एंट्री


जब रियल एस्टेट क्षेत्र में उन्हें बड़ी सफलता हासिल हुई. उनका काम अच्छे से चलने लगा तो उन्होंने सीमेंट के क्षेत्र में एंट्री की. 20 अप्रैल 1987 को उन्होंने महा सीमेंट कंपनी की स्थापना की. जो अब भारत का बड़ा सीमेंट ब्रांड बन चुका है. कभी गरीबी में जीवन बिताने वाले रामेश्वर राव आज 11,400 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं.

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Ranjeeta Pathare के बारे में
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रंजीता, पिछले छह सालों से डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं. इस दौरान इन्होंने अलग-अलग कई न्यूज़ पोर्टल्स पर काम किया. मूल रूप से बैतूल की रहने वाली हैं, लेकिन पढ़ाई इंदौर से पूरी हुई. बिजनेस के साथ ही राजनीति, शिक्षा और लाइफस्टाइल की खबरों में ख़ास रूचि है.Read More